भारत में साइबर स्टॉकिंग के केस दिन बे दिन बढ़ते जा रहे है उसकी वजह है जागरूक ना होना जबसे डिजिटल पेमेंट service आई है जबसे फोन no. सबसे जयादा शेयर होने लगे है । और कुछ ऐसे लोग भी हैं जब उन्हें किसी लड़की का नंबर मिलता है तो वह कोशिश करते हैं उन्हें परेशान करने की उंन से दोस्ती करने की और अगर उनका ऑफर रिजेक्ट हो जाता है तो वह मन में बदले की भावना रखकर उसका नंबर किसी और को भी दे देते हैं आज के टाइम में इंटरनेट पर किसी का नंबर लेना आप Facebook के माध्यम से मित्रता करके या कैसे भी बहुत प्रचलन में है इस तरह से कॉल करके आप दो तरह की क्राइम करते हैं एक डाटा थेफ्ट अर्थात किसी के डाटा को चुराना दूसरा भेजो प्राइवेसी अर्थात किसी की प्राइवेसी को भंग करना यह दोनों तरह की क्राइम आप कर देते हैं और आपको पता भी नहीं चलता और जो इसकी विक्टिम होती है उसको भी नहीं पता चलता कि उसके साथ एक क्राइम घटित हो गया है ऐसे में ज़रूरत है । हम साइबर स्टॉकिंग के बारे में जाने नीचे के केस लॉ दिया गया है जिससे आपको समझने में मदद मिलेगी कि वास्तव में साइबर स्टॉकिंग का मतलब क्या होता है का केस जो की धारा 354(D)
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